# *इतिहास स्वयं को अवश्य दुहराता है, भले ही कभी कभार ही नजर आता है…
बोकारो : भारती साहित्य परिषद् द्वारा शनिवार की शाम सेक्टर 5 स्थित सद्गुरु सदाफलदेव आश्रम में कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। संस्था के अध्यक्ष शिव कुमार सिंह की अध्यक्षता व महामंत्री डॉ नर नारायण तिवारी के संचालन में आयोजित इस काव्य गोष्ठी में सुखनंदन सिंह ‘सदय’, महेश मेंहदी, विजय शंकर मल्लिक ‘सुधापति’, डॉ परमेश्वर भारती, अवधेश कुमार, डॉ आशा पुष्प, डॉ रंजना श्रीवास्तव, डॉ राम नारायण सिंह, अरुण पाठक, वेंकटेश शर्मा, अशोक कुमार सिंह, दिनेश सिंह आदि ने प्रेम, देशभक्ति, मानवीय संवेदना, भाईचारा, नववर्ष, हास्य-व्यंग्य की कविताएं सुनाकर सबकी तालियां बटोरी।
कवि गोष्ठी की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन व मां सरस्वती की तस्वीर पर पुष्पार्चन से हुई। संरक्षक सुख नंदन सिंह ‘सदय’ ने स्वागत भाषण में सभी को आंग्ल नववर्ष की बधाई दी और कहा कि भारती साहित्य परिषद का उद्देश्य सकारात्मक साहित्य को बढ़ावा देना रहा है। संरक्षक उदय प्रताप सिंह ने भी नव वर्ष की इस पहली गोष्ठी में उपस्थित सभी कवियों व श्रोताओं को नव वर्ष की शुभकामनाएं दी।
कवि व गीतकार महेश शर्मा मेंहदी ने गीत ‘जिंदगी ओस भी है, अनल भी है.. ‘ व कर्तव्यबोध की कविता ‘जहां पर पले हम क्या उसको संवारा… ‘, विजय शंकर मल्लिक ने ‘इतिहास स्वयं को अवश्य दुहराता है, भले ही कभी कभार ही नजर आता है..’ व मैथिली कविता ‘चलू चलू देखी की की भार एलैए.. ‘, डॉ आशा पुष्प ने ‘जागें, उठें संकल्प करें हो प्रेमिल विश्व महान… ‘, अरुण पाठक ने मैथिली में सद्भावना गीत ‘जाति धर्म के नाम पर नहि बांटू इंसान के…’ व हिंदी कविता ‘हिंदी है हम सबकी भाषा… ‘, डॉ परमेस्वर भारती ने ‘नई दुल्हनिया चली पनघट की ओर…’, अवधेश कुमार ने ‘नये वर्ष का अभिनंदन’, ‘डॉ रंजना श्रीवास्तव ने ‘भ्रूण हत्या’, डॉ राम नारायण सिंह ने हिंदी कविता ‘जीवन’ व भोजपुरी कविता ‘नया साल आईल बा.. ‘ सुनाकर सबकी दाद पायी। धन्यवाद ज्ञापन संरक्षक उदय प्रताप सिंह ने किया।
इस अवसर पर बालकृष्ण त्रिपाठी, तारकेश्वर सिंह, शशि भूषण ठाकुर, पंकज कुमार सिंह, बिनोद बिहारी, डॉ मनोज कुमार सिंह, कमल सिंह, विशाल श्रीवास्तव, लक्ष्मण सिंह, जितेन्द्र नाथ सिंह, गिरीश सिंह, मुखराम सिंह आदि उपस्थित थे ।