बोकारो। फिल्म संगीत के मशहूर संगीतकार राहुलदेव बर्मन (आर डी बर्मन) की जयंती पर शनिवार की शाम सेक्टर 4 सिटी सेन्टर में बोकारो के कलाकारों अरुण पाठक, रमण कुमार, राम इकबाल सिंह, बसंत कुमार, हेमंत कुमार, मृत्यंुजय शर्मा, प्र्र्रशांत कुमार झा, श्याम कुमार आदि ने उन्हें सुरमयी श्रद्धांजलि दी। कवि व गायक अरुण पाठक ने कहा कि आरडी बर्मन एक प्रयोगधर्मी संगीतकार थे। आरडी बर्मन ने एक संगीतकार के रुप में हिन्दी फिल्म संगीत को एक नई ऊंचाई दी। भारतीय शास्त्रीय संगीत पर आधारित धुनें हों या फिर पाश्चात्य संगीत पर आधारित धुनें आरडी बर्मन के संगीत का जादू खूब चला। 27 जून 1939 को कलकत्ता में उनका जन्म हुआ और मात्र 54 वर्ष की अवस्था में 4 जनवरी 1994 को बंबई में उनका निधन हो गया। साठ के दशक में ‘छोटे नवाब’ फिल्म से बतौर संगीतकार सफर प्रारंभ करनेवाले आरडी बर्मन की लोकप्रियता जीवनपर्यंत बनी रही। उनके द्वारा संगीतबद्ध कुछ प्रसिद्ध फिल्मों में ‘पड़ोसन’, ‘तीसरी मंजिल’, ‘अमर प्रेम’, ‘कटी पतंग’, ‘शोले’, ‘यादों की बारात’, ‘आंधी’, ‘महबूबा’, ‘बेताब’, ‘सागर’, ‘1942 ए लव स्टोरी’ आदि शामिल हैं।
कार्यक्रम की शुरुआत अरुण पाठक ने ‘रिमझिम गिरे सावन सुलग-सुलग जाए मन…’, ‘जिस गली में तेरा घर ना हो बालमा…’, ‘कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना…’, ‘जब हम जवां होंगे, जाने कहां होंगे…’, ‘सागर किनारे दिल ये पुकारे…’ आदि गीतों की सुमधुर प्रस्तुति से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। राम इकबाल सिंह ने ‘एक दिन बिक जायेगा माटी के मोल..’, ‘सुहानी चांदनी रातें हमें सोने नहीं देती…’, रमण कुमार ने ‘एक अजनबी हसीना से यूं मुलाकाता हो गयी…’, ‘जाने क्या सोचकर नहीं गुजरा…’, बसंत कुमार ने ‘मेरे नैना सावन भादो….’, ‘सच मेरे यार है…’ व हेमंत कुमार ने ‘यादों की बारात निकली है आज दिल के…’ सुनाकर आरडी बर्मन को श्रद्धांजलि दी।