बोकारो। जेएनएस: भारत के प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञों में एक राजस्थान के श्री नितिन कंसल का चिन्मय विद्यालय, बोकारो में आगमन छात्रों एवं उनके शिक्षकों के लिए काफी उपयोगी साबित हुआ। डॉ कंसल ने प्रारंभिक से लेकर उच्चŸार माध्यमिक शिक्षा चिन्मय विद्यालय, बोकारो से प्राप्त किया है और बोकारो को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पटल पर शिक्षा के क्षेत्र में निखारने में उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वे 1993 बैच के उŸाीर्ण छात्र है जिसने बोकारो को शिक्षा के क्षेत्र में अत्यंत गौरवमय स्थान दिलवाया, सन 1993 में उन्होंने 258वाँ राष्ट्रीय स्तर पर रैंक लाकर एक ही बार में ।प्च्डज् उŸाीर्ण किया। इनका स्वागत करते हुए विद्यालय के प्राचार्य श्री अशोक झा ने कहा कि नितिन का स्वागत करते हुए मैं गर्व से अभिभूत हूँ कि यह मेेरे पहले बैच का छात्र है जिसने मेडिकल प्रवेश परीक्षा में शानदार उपलब्धि हासिल किया था और देश के प्रतिष्ठिति चिकित्सा संस्थान किं जार्ज मेडिकल कॉलेज लखनऊ से एम बी बी एस फिर इलाहाबाद विश्व विद्यालय के मोतीलाल नेहरु मेडिकल कॉलेज से एम डी, सफदरजंग मेडिकल कॉलेज से सीनीयर रेजिडेंट सर्जनशिप, मनिपाल विश्वविद्यालय कर्नाटक से (कार्डियोलॉजी) में डी एम, मैकमास्टर विश्वविद्यालय कनाडा से इलेक्ट्रो फिजियोलॉजी मे उच्चतर डिग्री प्राप्त किया है।
कार्यक्रम की संचालिका सोनाली गुप्ता ने कहा कि डॉ नितिन कंसल देश में विरले हृदय रोग विशेषज्ञ में से एक है जिन्हें इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी में महारत हासिल है। वे देश के प्रतिष्ठित संस्थान नारायण हृदयालय में हृदयरोग विभाग के निर्देशक के रुप में लोगों की सेवा कर रहे हैं।
वर्तमान में वे संयुक्त राज्य अमेरिका के कई विश्वविद्यालयों तथा फिडालफेलिया विश्वविद्यालय, पेंसिलवेनिया विश्वविद्यालय में विजिटिंग प्रोफेसर के रुप में अपना योगदान दे रहे हैं।
डॉ कंसल ने चिन्मय विद्यालय, बोकारो में आज दो सत्र को संबोधित किया। प्रथम सत्र में उन्होंने छात्रों को संवोधित करते हुए उन्हें मेडिकल की परीक्षा में उŸाीर्ण होने के गुड़ बताए और जीव विज्ञान से संबद्धित करियर के कई अवसरों के बारे में बताया कि आज चिकित्सा के क्षेत्र में असीम संभावनाएँ है एवं नई चुनौतियों के साथ नई चिकित्सा की जानकारी आवष्यक है। जो सबसे महत्वपूर्ण बात बताई वह है कि विद्यालय का जीवन काफी महत्वपूर्ण होता है जो इसे सही ढंग से नहीं लेता, तो आगे उसका जीवन दूभर हो जाता है। इसलिए विद्यालय जीवन में खूब डटकर पढ़ाई करनी चाहिए। लेकिन केवल पढ़ाई ही नहीं हो, मिठी शरारत भी होनी चाहिए कुछ बदमाशियाँ भी हो, क्योंकि ये मनमोहक पल जीवन में उदासीनता से बचाते है। विद्यालय का रोचक, रोमांचक एवं कठिन परिश्रम वाला जीवन ही आगे सफलता की राह तय करता है। प्रत्येक दिन अपने लिए एक से डेढ़ घंटा निकाल कर अपने ऊपर दो, मन को शांत करो अपने बारे में सोचो। छात्रों का सत्र काफी इन्टरेएक्टिव एवं इनफॉरमेटिव रहा।
दूसरे सत्र में उन्होंने शिक्षकों को संबोधित करते हुए उन्हें स्वस्थ जीवन जीने का तरीका बताया। उन्होंने कहा कि दक्षिण पूर्वी एशिया के लोग जैनेटिक रुप से हृदय के रोगी हो सकते हैं। ऐसे में सही खान-पान, सही रहन-सहन, सही जीवन शैली से ही हम इससे पार पा सकते हैं और स्वास्थ जीवन जी सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रविदिन आधा घंटा का व्यायाम करें, भोजन मे उच्च सांद्रता वाले कार्बोहाइट्रड (यथा अधिकमात्रा में चावल, ब्रेड, आलू) उच्च सांद्रता वाले वसा यथा डालडा, ध्रुमपान एवं भोजन में ऊपर से नमक लेकर खाना या आचार आदि के सेवन का त्याग करना चाहिए। हृदयरोग, मधुमेह आदि संबंधित अनेक भ्रांतियों को दूर करते हुए उन्होंने कहा कि यदि एक बार रक्तचाप की दवा शुरु हो गई तो उस कभी भी मत छोडिये। आपकी जीवन शैली ऐसी हो कि आपके शरीर को एक लम्बे समय तक धूप मिले । जिससे आपके शरीर में विटामिन डी की समुचित मात्रा बनी रहे। साथ ही उन्होंने योग, प्राणायम, ध्यान पर बल देते हुए कहा कि प्रत्येक दिन अच्छी प्रेरणादायी किताबे अवश्य पढ़े जिससे डिप्रेसन समाप्त होता है। अच्छी नींद आएगी और सकारात्मक ऊर्जा का संचार आपके भीतर होता रहेगा।
कार्यक्रम का आयोजन चिन्मय सप्तर्षि भवन के आधुनिक सभागार में हुआ था जहाँ विशिष्ट अतिथि का स्वागत सचिव, श्री महेश त्रिपाठी एवं प्राचार्य श्री अशोक झा ने पुष्प गुच्छ भेंट देकर दिया एवं स्मृति चिन्ह स्वरुप पुस्तक प्रदान किया। कार्यक्रम का सफल समन्वयन सोनाली गुप्ता ने किया।