चुनरी उडियाई छौ पकड़-पकड़, तों बाज ने गोरिया अकड़-बकड … 

# साहित्यलोक का होली मिलन सह मासिक रचनागोष्ठी आयोजित
बोकारो : साहित्यिक संस्था साहित्यलोक की मासिक रचनागोष्ठी सह होली मिलन रविवार को सेक्टर वन में कवि डॉ रणजीत कुमार झा के आवास पर आयोजित हुआ। शिक्षक व साहित्यकार संजय कुमार झा की अध्यक्षता व साहित्यलोक के संयोजक अमन कुमार झा के संचालन में आयोजित इस रचनागोष्ठी की शुरुआत में अरुण पाठक ने अपनी रचना मेथिली में होली गीत ‘होली पावनि अछि मनभावन एकरा सभ मिलि संग मनाउ… ‘ सुनाकर की।
उदीयमान कवयित्री आकांक्षा इरा ने हिन्दी कविता ‘कवि की पसंद’ व ‘अवशेष’ सुनाकर सबको प्रभावित किया। साहित्यकार अमन कुमार झा ने सरकारी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार पर केंद्रित मैथिली कथा ‘पेट आ सत्यक युद्ध’ में इस बात को बहुत ही प्रभावी ढंग से रेखांकित किया कि सत्य और धैर्य के साथ खाली पेट युद्ध नहीं जीता जा सकता है। वरिष्ठ साहित्यकार विजय शंकर मल्लिक ‘सुधापति’ ने मैथिली भाषा में होली पर व्यंग्य कविता ‘नचे नाथ’, होली गीत ‘हितकर रितुराज’ व ‘चुनरी उडियाई छौ पकड़-पकड़, तों बाज ने गोरिया अकड़-बकड़’ सुनाकर सबकी प्रशंसा पाई। डॉ रणजीत कुमार झा ने ‘आजु सब मिलि खुश भ’ खेलू होरी… ‘ की सुंदर प्रस्तुति की। अध्यक्षीय काव्य पाठ में संजय कुमार झा ने गज़ल सुनाकर सबकी दाद पाई। सभी ने अबीर लगाकर एक-दूसरे को होली की शुभकामनाएं दी।
मिथिला सांस्कृतिक परिषद के उपाध्यक्ष राजेन्द्र कुमार ने कहा कि बोकारो के साहित्यकारों की रचनाशीलता को बढ़ावा देने में साहित्यलोक की प्रशंसनीय भूमिका रही है। इस अवसर पर जयविन्द झा, राजेन्द्र कुमार, डॉ विनय कुमार पांडेय, भारती झा, सुनीता झा, रमण झा, रेणुका झा, महाकान्त झा, आराध्या, अदिति, ब्रजेश कुमार झा आदि उपस्थित थे।

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