बोकारो । जल ही जीवन है और नदियां इसकी प्राकृतिक संवाहक हैं यानि इनमें हमारा जीवन प्रवाहित होता है । यही कारण है कि नदियों को भारतीय संस्कृति में आदर से माता माना जाता है और मैं इस विचार एवं संस्कृति को नमन करता हूँ साथही यह अफशोस जाहिर करता हूँ कि जबसे हमारे देश में अपसंस्कृतियां विकसित होने लगीं हैं तब से नदियों को हम प्रदूषित और अतिक्रमित करने लगे हैं क्योंकि हमारे अंदर इनके प्रति सम्मान का भाव समाप्त होकर बस उपयोगिता का भाव रह गया है। नदियों में मल, मूत्र या गंदी चीजें बहा या डालकर इनको प्रदूषित करना न सिर्फ सामाजिक अपराध है बल्कि ये कानूनी जुर्म भी है । यह उक्त विचार आज दिनांक 29 नवम्बर 2020 कार्तिक पूर्णिमा के शुभ अवसर पर संध्या 4.00 बजे ‘स्वास्थ एवं पर्यावरण संरक्षण संस्थान’ द्वारा बोकारो की जीवन रेखा मानी जाने वाली पवित्र गरगा नदी (गर्ग-गंगा) के बोकारो इस्पात नगर स्थित चास मुख्य पूल के बगल में छठ घाट पर आयोजित “गरगा बचाओ जनांदोलन सह गर्ग-गंगा दीपोत्सव” के अवसर पर अपना विचार व्यक्त करते हुए संस्थान के महासचिव प्रकृति- सेवक शशि भूषण ओझा ‘मुकुल’ ने कहा और इस पावन गरगा नदी में चास नगर निगम क्षेत्र और बोकारो इस्पात नगर की आवासीय कालोनियों के गंदे नालों को लगातार प्रवाहित कर इसे प्रदूषित करने साथही दबंगों द्वारा इसके तटों को अतिक्रमित करने पर जिला प्रशासन एवं सरकार की चुप्पी पर नाराजगी व्यक्त किया और यह भी अफशोस जाहिर किया कि जो नदी हमें अपना अमृत जल पिलाई आज हम सभी उसे अपना मल पीला रहे हैं। इस अवसर पर गरगा नदी का पूजन , आरती एवं इसके पवित्र तट पर 1001 दीप जलाकर इस नदी के महत्व एवं पवित्रता को प्रदर्शित किया गया ।
गरगा नदी की उत्पत्ति बोकारो जिला के कसमार प्रखंड स्थित पवित्र कलौंदी बांध जलकुंड से द्वापर युग में महर्षि गर्ग के तपोबल से यहां आयोजित यज्ञ में पवित्र गंगा जल की प्राप्ति हेतु और लोगों के पेयजल की समस्या दूर करने हेतु पाताल से हुई है और यही कारण है कि इस नदी को गर्ग-गंगा और तदन्तर में अपभ्रंश होकर यह गरगा के नाम से जानी जाती है एवं इसका स्थान गंगा समान ही है। गरगा नदी का न सिर्फ पौराणिक महत्व है बल्कि यह हमारे अतीत के गौरवमयी इतिहास को भी याद दिलाती है ।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित जनता की भावनाओं एवं प्रकृति रक्षा के प्रति संकल्पित बोकारो के लोकप्रिय विधायक साथही विधानसभा में विरोधीदल के मुख्य सचेतक माननीय श्री बिरंची नारायण जी को संस्थान द्वारा सम्मानित करते हुए अपनी परम्परानुसार एक उच्च प्रजाति के आम का पौधा प्रदान किया गया। ज्ञात हो कि ये हमेशा से संस्थान के कार्यों में सहायक रहे हैं तथा संस्थान के निवेदन पर कई बार इन्होंने इस नदी को प्रदूषणमुक्त करने हेतु विधानसभा में आवाज उठाया है और अब इनके ही सार्थक प्रयास से इस नदी को प्रदूषणमुक्त करने हेतु योजना जिला प्रशासन द्वारा सरकार को भेजी जा रही है । सम्मान ग्रहण करते हुए माननीय विधायक ने संस्थान के प्रकृतिरक्षा एवं पर्यावरण सुरक्षा के माध्यम से की जारही जनस्वास्थ्यरक्षा के कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि प्रकृति से ही हमारा जीवन है और इसकी रक्षा हमें अपने जीवन की रक्षा हेतु करना ही होगा वर्ना अत्यंत घातक दुष्परिणाम भुगतना होगा। गरगा नदी के साथ उन्होंने अपना स्वाभाविक जुड़ाव बताया और कहा कि इसे प्रदूषण और अतिक्रमणमुक्त करना मेरी प्राथमिकता है।
इस अवसर पर प्रकृति-सेवक शशि भूषण ओझा ‘मुकुल’, रघुवर प्रसाद, बब्लू पांड़ेय, विजय गुप्ता, मृणाल चौबे, राजेश्वर द्विवेदी, प्रो. आर डी उपाध्याय, प्रो. एस पी सिंह, संजय त्यागी, सपन गोस्वामी, पं. अखिलेश ओझा, पं. चंदन शास्त्री, पुष्पा मिश्रा, अनीता ओझा, मन्जू सिंह, आनन्दी देवी, अजय चौबे, कुंदन उपाध्याय, उमेश मिश्र, रोहित सिंह, अजीत भगत, सुधांशु चौबे, अभय कुमार गोलू, विजय कपरदार, त्रिपुरारी पांड़ेय, अरुण शर्मा, अनील उपाध्याय, बासुदेव गोरायी, मनीष अनुपम सहित अनेक पर्यावरण प्रेमी उपस्थित रहे।