बोकारो। मिथिलांचल में मनाये जाने वाला भाई-बहन के स्नेह का अतिपावन पर्व सामा-चकेवा गुरुवार देर शाम बोकारो में संपन्न हुआ। बोकारो की प्रतिष्ठित संस्था मिथिला सांस्कृतिक परिषद के तत्वावधान में नगर के सेक्टर-4ई स्थित मिथिला अकादमी पब्लिक स्कूल में सामा-चकेवा पर्व का भव्य आयोजन किया गया। मैथिल-परम्परानुसार समदाओन आदि भावपूर्ण पारंपरिक गीतों के साथ सामा-चकेवा को भावनीभी विदाई दी गयी। चास-बोकारो के विभिन्न भागों से पहुंची महिलाओं ने मिट्टी निर्मित सामा-चकेवा की विधियां पूरी कीं। परंपरानुसार सामा-चकेवा, सतभइया, बृंदावन, चुगला, ढोलिया बजनिया, बन तितिर, पंडित और अन्य मूर्तियों के खिलौने वाले डाला को लेकर महिलायें जुटीं और सन (पटुआ) से बने चुगला को जलाया। उसका मुंह झुलसाया। इसके बाद उन्हें सामूहिक रूप से विसर्जित किया। प्रारंभ में आगंतुकों का स्वागत परिषद् के सांस्कृतिक कार्यक्रम निदेशक शंभु झा ने किया। परिषद् के महासचिव अविनाश कुमार झा ने अपने संबोधन में कहा कि मिथिला की महान लोक संस्कृति से जुड़े भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक यह पर्व मात्र मिथिला में ही मनाये जाने की परंपरा रही है। इसकी चर्चा विष्णु-पुराण में भी मिलती है। मिथिला के पारंपरिक पर्व-त्योहारों व कला-संस्कृति से नई पीढ़ी को जोड़े रखने के उद्देश्य से परिषद् द्वारा विविध कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
मिथिला महिला समिति की सचिव चंदा झा सहित अंजु झा, ममता झा, भारती झा, पिंकी झा, नमिता झा, मधुलता झा, डॉ निरुपमा झा, जयंती पाठक, पूनम लाल, मधु झा, प्रीति प्रिया, पिंकी आदि ने सामा-चकेवा पर्व के गीत ‘वृंदावन में आगि लागल कियो ने बुझाबै हे…’, ‘चुगला लगन बिताकऽ एलै ससुरारी में…’, ‘देने जइयौ भईया के आशीष हे मनमोहिनी सामा…’, ‘कोने भैया के धोतिया आकाश सूखे हे पाताल डोले हे…’, ‘अरे भंवरा सामा जाई छै ससुरा किछु गहना दहिन…’, ‘सामचक-सामचक अईह हो जोतिला खेत में बसिह हे…’, ‘गाम के अधिकारी तोहें बड़का भैया हो…’, समदाओन ‘बड़ा रे जतन सँ हम सामा बेटी पोसलौं, सेहो सामा सासुर जाई…’ आदि गीतों की सुमधुर प्रस्तुतियों से सबको आनंदित किया।
इस अवसर पर मिथिला सांस्कृतिक परिषद के अध्यक्ष अनिल कुमार, उपाध्यक्ष अनिमेष कुमार झा व राजेन्द्र कुमार, महासचिव अविनाश झा, अरुण पाठक, अविनाश झा अवि, प्रदीप झा, सुनील कुमार चौधरी, मिहिर कुमार झा ‘राजू’, गंगेश कुमार पाठक, चंद्रकांत मिश्र, मनोज कुमार झा, रमण कुमार ठाकुर, पशुपति झा, विनय कुमार झा आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।