बोकारो। हिन्दी सिने जगत के मशहूर पाश्र्वगायक मो. रफी की 40वीं पुण्यतिथि पर शुक्रवार की शाम सेक्टर 3 में ‘एक शाम मो. रफी के नाम’ कार्यक्रम आयोजित कर उन्हें सुरमयी श्रद्धांजलि दी गयी। कार्यक्रम की शुरुआत संगीतज्ञ अरुण पाठक, धीरज तिवारी, संजीव मजुमदार, राकेश कुमार सिंह, राजेन्द्र कुमार, मनोज कुमार, बबलू, अंजू यादव, बलराम मजुमदार, गुलाम अली, राजेश कुमार द्वारा मो. रफी के चित्र पर पुष्पार्चन से हुई।
गायक अरुण पाठक ने कहा कि रफी साहब का जन्म संगीत के लिए ही हुआ था। उनकी आवाज़ की कशिश बेमिसाल थी। फिल्म संगीत को जन-जन में लोकप्रिय बनाने में उनकी गायकी का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। संजीव मजुमदार ने कहा कि रफी साहब की गायकी का कोई जोड़ नहीं है। राकेश कुमार सिंह ने कहा कि फिल्म संगीत को समृद्ध बनाने में रफी साहब का योगदान अतुलनीय है। धीरज तिवारी ने कहा कि रफी साहब जैसा पाश्र्वगायक न हुआ है न होगा।
संगीत संध्या की शुरुआत गायक अरुण पाठक ने ‘तुम मुझे यूं भुला न पाओगे…’ व ‘मुझको मेरे बाद जमाना ढूंढ़ेगा…’ की सुमधुर प्रस्सुति से की। गायक रमण कुमार ने ‘छू लेने दो नाजुक होठों को…’ व ‘दर्दे दिल दर्दे जिगर…’, उभरते गायक गुलाम अली ने ‘चाहूंगा मैं तुझे सांझ सवेरे…’, ‘क्या हुआ तेरा वादा…’, अंजू यादव ने ‘झिलमिल सितारों का आंगन होगा…’ व अरुण पाठक के साथ ‘छुप गये सारे नज़ारे…’ तथा गुलाम अली के साथ ‘चुरा लिया है तुमने जो दिल को…’ की सुरीली प्रस्तुति से सबको आनंदित किया। मनोज ने ‘चलो रे डोली उठाओ कहार…’, नीरज ने ‘मुझे तेरी मुहब्बत का…’ सुनाकर रफी साहब को श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम में की-बोर्ड पर राजेन्द्र कुमार, ढोलक व हैंडसोनिक पर राकेश कुमार सिंह, तबले पर धीरज तिवारी व बलराम मजुमदार, आॅक्टो पैड पर मनोज व बेस गिटार पर बबलू ने अच्छी संगति की। मंच संचालन संजीव मजुमदार ने किया।