बोकारो: राष्ट्रीय कवि संगम, बोकारो महानगर इकाई की मासिक कविगोष्ठी सेक्टर 6बी स्थित साई मंदिर के सभागार में आयोजित हुई। संस्था के बोकारो महानगर इकाई अध्यक्ष अरुण पाठक की अध्यक्षता एवं महासचिव ब्रजेश पांडेय के संचालन में आयोजित इस कविगोष्ठी में रामनारायण उपाध्याय, डॉ रणजीत कुमार झा, भावना वर्मा, उषा झा, कुमार केशवेन्द्र, डॉ निरुपमा कुमारी, डॉ रंजना श्रीवास्तव, विधान शर्मा, ज्योति वर्मा, धनबाद से पधारे राष्ट्रीय कवि संगम के प्रांतीय संगठन मंत्री अनंत महेन्द्र व धनबाद जिला इकाई के सचिव तुषार कश्यप ने देशप्रेम व वर्तमान परिवेश पर केंद्रित रचनाएं सुनाईं। इस अवसर पर पिछले दिनों दिवंगत हुए सुप्रसिद्ध कवि व गीतकार गोपाल दास ‘नीरज’ को श्रद्धासुमन अर्पित की गयी। अरुण पाठक ने नीरज जी के एक गीत ‘प्रेम के पुजारी हम हैं रस के भिखारी..’ सुनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। कवि राम नारायण उपाध्याय ने राष्ट्रीय कवि संगम द्वारा आयोजित गोष्ठियों की सराहना की और संस्था से जुड़े नवोदित कवियों की संख्या पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि यह इस बात का संकेत है कि युवा पीढ़ी भी रचनाधर्मिता के प्रति समर्पित है जो साहित्य के लिए एक सुखद संकेत है।
काव्यगोष्ठी की शुरुआत डॉ निरुपमा कुमारी ने देशभक्ति की रचना सुनाकर की-‘समूचे विश्व में उत्थान का गुणगान है भारत/हमारी आन है भारत, हमारी शान है भारत…।’ युवा कवि अनंत महेन्द्र ने इन पंक्तियों को सुनाकर सबकी दाद पाई-‘सांस थम जाये मेरी मुझे गम नहीं, फिर भले जिन्दगानी रहे न रहे।’ तुषार कश्यप ने धर्म के नाम पर दहशतगर्दी फैलानेवालों पर कटाक्ष किया-‘आदमी कितना शैतान हो गया, लड़ने को हिंदु और मुसलमान हो गया..’। ब्रजेश पांडेय ने ‘त्यागधर्म’ व ‘प्रेम मिलता कहां’ शीर्षक कविताओं में त्याग व प्रेम के सही स्वरुप को उजागर किया। कुमार केशवेन्द्र ने ‘नदी स्वर’ शीर्षक कविता सुनाई-‘नागिन सी बलखाती या फिर यूं ही चलती जाती है। डॉ रणजीत कुमार झा ने ‘भ्रष्ट मिल सब एक भई, नीक अकेला आज…’ व संस्कृत रचना ‘वीरशोणित सिंचिता भूमिरियम्, राष्ट्रोन्नयनं हि सर्वैः करणीयम्..’ व डॉ रंजना श्रीवास्तव ने ‘लुप्त हो रही मानवता, इस जहर भरे परिवेश में, एक बार तुम जन्म लो बापू, फिर से अपने देश में…’, सुनाकर दाद पाई। विधान शर्मा ने देशभक्ति के जज्बे को उजागर किया-‘दिलों की नफरत को निकालो, वतन के इन दुश्मनों को मारो…’। भावना वर्मा ने गीत ‘शतदल के पंखुड़ियों जैसे सौ सपने खिल जाये ंतो क्या होगा तुम कहो संभल के…’ सुनाकर सबकी वाहवाही ली। उषा झा ने ‘जनगण मन की भाषा क्यूं न ही समझ पाते हो, नरपिशाच बनने से बेहतर, पैदा होते ही क्यूं नहीं मर जाते हो..’, ज्योति वर्मा ने ‘हर घर में रावण बैठा है, इतने रावण को मार सको वो राम कहां से लाओगे..’, राम नारायण उपाध्याय ने दहेज प्रथा पर केंद्रित भोजपुरी कविता सुनाकर सबकी प्रशंसा पाई। इस मौके पर ममता कर्ण, कमल, मयंक अग्रवाल, राकेश श्रीवास्तव, विनय कुमार श्रीवास्तव, प्रमोद पांडेय आदि उपस्थित थे।