देश के लगभग 7 करोड़ व्यापारियों के शीर्ष संगठन कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग में वालमार्ट फ्लिपकार्ट के बीच हाल ही में हुई डील के खिलाफ एक याचिका दायर की है ! याचिका कैट के वकील अधिवक्ता अबीर रॉयने दाखिल की !
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी.सी.भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया की कैट ने अपनी याचिका में दोनों कंपनियों के मिलने पर गहरा एतराज जताते हुए कहा है की वालमार्ट कथित रूप से विश्व का सबसे बड़ा रिटेलर है और फ्लिपकार्टप्लेटफार्म पर लागत से भी कम मूल्य पर माल बेचना, भारी डिसकॉऊंट और नुकसान की भरपाई के रास्ते से अनुचित प्रतिस्पर्धा पैदा करेगा जिससे भारतीय व्यापारियों को नुकसान होगा और वो इनका मुकाबला नहीं कर पाएंगे !
कैट ने अपनी याचिका में कहा है की फ्लिपकार्ट विसंगतियों से भरा ई कॉमर्स प्लेटफार्म है जहाँ लागत से भी कम मूल्य पर माल बेचना, कुछ व्यक्तियों अथवा कंपनियों के साथ एकल समझौते एवं कुश ख़ास रिटेलरों को सैदव तरजीह देना शामिल हैं ! वालमार्ट 77 प्रतिशत शेयर लेकर फ्लिपकार्ट का वास्तविक मालिक है और इस वजह से स्वाभाविक है की जो उत्पाद वालमार्ट द्वारा दुनिया भर में बेचे जाते हैं वो उनको तरजीह देगा जिससे ऑनलाइन एवं ऑफलाइन व्यापारियों को वो माल नहीं मिलेगा और वो प्रतिस्पर्धा में कहींनहीं टिकेंगे ! यह बेहद अनुचित प्रतिस्पर्धा के वातावरण का निर्माण करेगा !
फ्लिपकार्ट द्वारा अब तक बनाये गए नेटवर्क और ई कॉमर्स प्लेटफार्म का भरपूर इस्तेमाल कर वालमार्ट पूरी शक्ति से अनुचित एवं गैर उचित रास्तों के द्वारा भारत के बाज़ार के दुनिया भर के उत्पादों से भर देगा और रिटेलरों के पास केवल दो विकल्प होंगे या तोबाज़ार से बाहर हो जाएँ या फिर वालमार्ट की शर्तों को स्वीकार करते हुए काम करें ! इससे एक तरह से वालमार्ट का कब्ज़ा भारतीय बाज़ार पर होने में देर नहीं लगेगी तथा घरेलु मैनुफैचरिंग को गहरा धक्का पहुंचेगा !
याचिका में यह भी कहा गया है की जो डाटा वालमार्ट को मिलेगा उसका उपयोग टारगेट कंस्यूमर को विज्ञापन के जरिये वालमार्ट फ्लिपकार्ट से जोड़ा जाएगा और उन्हें ख़ास रिटेलरों द्वारा माल सप्लाई किया जायेगा ! वालमार्ट अपने खुद के ब्रांड एवं लेबल भीबनाएगा और वो माल केवल वालमार्ट के पास ही मिलेगा ! पूरी सप्लाई चैन पर वालमार्ट का कब्ज़ा होगा ! कानूनी प्रक्रिया की अनदेखी की जायेगी और एफडीआई पालिसी का उल्लंघन होगा और ई कॉमर्स के जरिये वालमार्ट भारत के रिटेल बाज़ार में सीधे प्रवेश करेगा! ई कॉमर्स या रिटेल व्यापार के लिए कोई पालिसी न होने से वालमार्ट के लिए ऐसा करना बहुत आसान होगा !
कैट ने अपनी याचिका में कहा है की वालमार्ट फ्लिपकार्ट डील देश में बेहद अनुचित प्रतिस्पर्धा बनाएगी जिसमें व्यापारियों का मुकाबला करना असंभव है ! भारत के रिटेल बाज़ार और ई कॉमर्स को बचाने के लिए इस डील को स्वीकृति न देकर इसे रद्द किया जाए !