बोकारो: वेदांता समूह की राष्ट्रीय इस्पात निर्माता कंपनी ईएसएल स्टील लिमिटेड ने सीआईआई की चौथी झारखंड जनजातीय विकास बैठक में भाग लिया। बैठक का उद्देश्य आदिवासी समुदायों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाना और उनके लिए विकास की मुख्यधारा में आने का मार्ग बनाना था।
बैठक का फोकस भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन संघ (ट्राइफेड) द्वारा पेश की जा रही विभिन्न योजनाओं को बढ़ावा देना था| जनजातीय कार्यबल का उपयोग करने और उन्हें रोजगार और उद्यमिता के अवसर प्रदान करने के लिए योजनाओं और नीतियों पर चर्चा किया गया। यह बैठक मोटे तौर पर ट्राइबल के विकास और सफलता की कहानियों को प्रदर्शित करने के लिए आयोजित की गई थी।
वर्चुअल मीट में झारखंड के माननीय मुख्यमंत्री, हेमंत सोरेन, जो इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे, सहित अन्य उल्लेखनीय वक्ताओं जैसे चाणक्य चौधरी, अध्यक्ष, सीआईआई झारखंड राज्य परिषद और उपाध्यक्ष – कॉर्पोरेट सर्विसेज टाटा स्टील लिमिटेड, सौरव रॉय, संयोजक, सीआईआई झारखंड सीएसआर कौशल विकास पैनल और प्रमुख – सीएसआर, टाटा स्टील लिमिटेड, गणेश रेड्डी, सीईओ सिटीजन्स फाउंडेशन, बैद्यनाथ मंडी, प्रदेश अध्यक्ष, ट्राइबल इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (टिक्की), अमरेंदु प्रकाश, प्रभारी निदेशक, सेल – बोकारो स्टील प्लांट, संजय सभरवाल, तत्काल पूर्व अध्यक्ष, सीआईआई झारखंड राज्य परिषद, प्रबंध निदेशक, मेटलडाइन इंडस्ट्रीज लिमिटेड, तापस साहू, वाइस अध्यक्ष, सीआईआई झारखंड राज्य परिषद मौजूद थे |
आदिवासी आबादी के जीवन के उत्थान और विकास के लिए सीआईआई की प्रतिबद्धता और जुनून को प्रतिध्वनित करते हुए, ईएसएल लगातार उनकी भलाई के लिए प्रयास कर रहा है।
इस अवसर पर बोलते हुए एनएल वट्टे, ईएसएल स्टील लिमिटेड के सीईओ ने कहा, “ईएसएल आदिवासी समाज के विकास में लगातार योगदान दे रहा है। ईएसएल सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक अवसरों का विस्तार करके लड़कियों, युवा महिलाओं और पुरुषों को सशक्त बना रहा है। हमारा ध्यान इस आबादी को शिक्षित और कुशल बनाने पर है ताकि वे बढ़ सकें और स्वतंत्र हो सकें क्योंकि उनमें से अधिकांश अत्यधिक गरीबी से पीड़ित हैं। नाबार्ड, नंद घर, प्रोजेक्ट प्रेरणा, जीविका, वाडी और वेदांत ईएसएल स्किल स्कूलों जैसे कई पहलों के सहयोग से ईएसएल ने उनके भविष्य को आकार देने में मदद की है। अभी तक वेदांत फ्लैगशिप प्रोग्राम नंदघर के सहयोग से 2162 से अधिक गॉंववालों को सहयोग मिल चूका है | जीविका प्रोजेक्ट के द्वारा हमने 585 महिलाओं सशक्त बनाया है | 200 से अधिक आदिवासी किसान को वाड़ी प्रोजेक्ट के जरिए रोजगार दिया जा रहा है |”