स्वामी चिन्मयानंद कि 107वी जन्मोत्सव धुमधाम से मनाई गई

प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, अत्यंत मेघावी पत्रकार, क्रांतिदृस्टि वेदांती, जीवन के अंतिम सांस तक राष्ट्र एवम मानव कल्याण को समर्पित परम् पूज्य स्वामी चिन्मयानंद महाराज का 107वा जन्म दिवस महोत्सव चिन्मय विद्यालय बोकारो के प्रांगण में पूरी श्रद्धा एवम भक्ति से मनाया गया। 8 मई1916 को परम् पूज्य स्वामी चिन्मयानंद महाराज का जन्म केरल के एर्नाकुलम में हुआ था। उनका बचपन का नाम बाल कृष्ण मेनन था।

इस अवसर पर चिन्मय विद्यालय बोकारो के छात्रों ने पूरी श्रद्धा के साथ उनके चरण पादुका की पूजा की। एवम उनके 108 नामोच्चारण के साथ आराधना की।चिन्मय विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष बिश्वरूप मुखोपाध्याय, सचिव महेश त्रिपाठी एवम  प्राचार्य सूरज शर्मा में चिन्मय मिशन, बोकारो की आचार्या  परम् पूज्य स्वामिनी संयुक्तानंदा सरस्वती के निदेशन में गुरुदेव के पादुका की पूजा की ।  विद्यालय संगीत विभाग के द्वारा सुमधुर भजनों की प्रस्तुति की गई।

इस भावपूर्ण भक्तिमय वातावरण में परम् पूज्य गुरुदेव के कृति एवम अत्यंत वात्सल्य और करुणापूर्ण  ,उदार हृदय व्यक्तित्व को स्मरण करते हुए भारत के विकास में उनके योगदान की चर्चा की और वे किस प्रकार का भारत निर्माण करना चाहते थे उसका उल्लेख किया। स्वामिनी जी ने कहा कि माँ भारती की संतान कभी कमजोर, दीन हीन, नही हो सकता है। उनकी क्षमता, उनकी सामर्थ्य का कोई अंत नहीं है। हमे वेद, उपनिषदों, गीता के माध्यम से अपने सामर्थ्य शक्ति जो मानना होगा और आधुनिक विज्ञान के माध्यम से परम् वैभव शाली राष्ट्र एवम स्वर्ग से भी ज्यादा उन्नत विश्व का निर्माण करना होगा। इसी उद्देश्य से स्वामी शिवानंद सरस्वती से दीक्षा लेकर, उन्होंने सन्यास का जीवन वरण किया और स्वामी तपोवन महाराज की कृपा छाया में खुद को तपाकर ज्ञान मार्गी बनाया।

भारत का कल्याण शिक्षा एवम ज्ञान से है इसी उद्देश्य से 1953 में अपने शिष्यों के साथ चिन्मय मिशन की स्थापना की। 1960 के दशक में चिन्मय दृष्टि पर आधारित पहले चिन्मय विद्यालय की स्थापना केरल में कई गई। अब यह संगठन विश्वव्यापी कलेवर ले चुका है। सैकड़ों विद्यालय, 10 से अधिक महाविद्यालय, 1 चिन्मय विश्व विद्यापीठ, चिकित्सा केंद्र,चिन्मय ग्रामीण विकास केंद, विश्व के बिभिन्न देशों में  350 से अधिक चिन्मय मिशन केंद्र की स्थापना की जा चुकी है। सैकड़ों स्वामी एवम ब्रह्मचारी ने अपने सुख को त्याग कर सतत गुरुदेव के संकल्प को साकार करने में लगे हुए हैं।

स्वामी जी का मानना था कि सम्यक ज्ञान, सेवा एवम कौशल विकास से सम्पूर्ण मानवता के लिए समृद्धि का सृजन किया जा सकता है। उनकी सच्ची आराधना तभी होगी जब हम सभी उनके बनाये मार्ग, चिन्मय दृष्टि को अपने जीवन मे उतारे, चरित्र निर्माण करें, ज्ञान मार्गी हों एवम निष्काम कर्मयोगी बन संसार के कल्याण में अपना सहयोग दे।

पूजा अर्चना केे बाद राम बचन पाठक , आनंदिता पाठक ने भक्ति गायन से पुरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया जिनका साथ शिवेन चक्रवर्ती , जय किशन राठौड़, रूपक झा, दिनेश कुमार ने दिया।

चिन्मय विद्यालय के द्वारा मानव सेवा आश्रम सेक्टर -5 में अन्नदान किया गया।

चिन्मय मिशन जनर्वत -5 की आचार्या स्वामिनी संयुक्तानंद ने पूरे विधी-विधान के साथ पुजा-अर्चना की। पुजा के पश्चात सभी को प्रसाद वितरित किया गया। इस दौरान  वृजमोहन लाल दास, नरमेंद्र कुमार , सुप्रिया चौधरी, संजीव सिंह, रश्मि सिंह एवं अन्य शिक्षकगण उपस्थित थे।

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