बोकारो : महान पार्श्वगायक मुकेश की पुण्यतिथि के अवसर पर रविवार की शाम सेक्टर 6 डी में ‘एक शाम मुकेश के नाम’ कार्यक्रम का आयोजन कर कलाकारों ने उन्हें सुरमयी श्रद्धांजलि दी। कलाकारों ने मुकेश जी की तस्वीर पर माल्यार्पण व पुष्पार्चन कर कार्यक्रम की शुरुआत की। सुप्रसिद्ध गायक अरुण पाठक ने कहा कि मुकेश की गायकी जनमानस के दिलों को छूती है। मुकेश जी को इस दुनियां से गये हुए 47 वर्ष बीत चुके हैं लेकिन उनके गाए गीत आज भी लोगों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।
भारतीय संगीत कला अकादमी के सचिव डॉ राकेश रंजन ने कहा कि मुकेश जी की गायकी में एक खास कशिश थी जो सहज ही लोगों को आकर्षित कर लेती थी। उन्होंने एक से बढ़कर एक कर्णप्रिय गीत दिए हैं।
मिथिला सांस्कृतिक परिषद, बोकारो के सांस्कृतिक कार्यक्रम निर्देशक शंभु झा ने कहा कि मुकेश जी के गीत उन्हें बचपन से पसंद रहे हैं। खासकर उनके गाए दर्द भरे नग्में काफी लोकप्रिय हुए। गायक रमण चौधरी ने कहा कि मुकेश की गायकी कमाल की थी।
सखी बहिनपा मैथिलानी समूह की सांस्कृतिक उपप्रभारी जयंती पाठक ने कहा कि मुकेश के गाए गीतों में जो सादगी है वह दुर्लभ है। मुकेश ने कम गीत गाए लेकिन उनके गाए अधिकतर गीत लोकप्रिय हुए।
अरुण पाठक ने ‘जाने कहां गए वो दिन…’, ‘दुनिया से जानेवाले जाने चले जाते हैं कहां… ‘, ‘होटों पे सच्चाई रहती है…’, ‘तेरे होटों के दो फूल प्यारे प्यारे…’, ‘दो कदम तुम ना चले…’, ‘द….’, ‘जिस गली में तेरा घर ना हो बालमा…’ आदि गीत सुनाकर समां बांध दिया। रमण कुमार ने ‘चांद आहें भरेगा…’, ‘दो रंग दुनिया के और दो रास्ते…’ व ’जिक्र होता है जब कयामत का…’ सुनाकर मुकेश जी को श्रद्धांजलि दी।