हर बच्चा अपने-आप में प्रतिभावान, दूसरों से न करें तुलना : डॉ. गंगवार


# ‘दीपांश’ के नन्हें विद्यार्थियों में किताबें, स्टेशनरी किट व स्कूल बैग वितरित

बोकारो। समाज के अभिवंचित वर्ग के बच्चों को निशुल्क गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से डीपीएस बोकारो के तत्वावधान में संचालित स्कूल ‘दीपांश शिक्षा केंद्र’ के कक्षा एक के विद्यार्थियों में शनिवार को स्कूल बैग के साथ किताबें और स्टेशनरी किट का वितरण किया गया। प्राचार्य डॉ. एएस गंगवार ने दीपांश की फर्स्ट एसेंबली में इसका वितरण किया। यह उपहार पाकर बच्चों के चेहरों की खुशी देखते ही बन पड़ रही थी। इस अवसर पर अपने संबोधन में प्राचार्य डॉ. गंगवार ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए उन्हें मन लगाकर पढ़ाई करने, अपने शिक्षकों, माता-पिता व श्रेष्ठजनों का सदैव सम्मान करने तथा स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहने का संदेश दिया। उन्होंने बच्चों को नियमित योगाभ्यास करने को कहा। उन्होंने यह भी कहा कि बच्चे अच्छा काम करें और हमेशा जहां तक हो सके, दूसरों की मदद करें। बच्चों को असफलता से निराश होने की बजाय, सीख लेने की प्रेरणा देते हुए उन्होंने कहा कि हरेक बच्चा अपने-आप में प्रतिभावान होता है। बच्चे दूसरों से अपनी तुलना न करें।

इसके पूर्व, कार्यक्रम की शुरुआत दीपांश की कक्षा 6 की छात्रा आकृति ने ‘गणेश वंदना’ से की। इसके बाद कक्षा पांच के विद्यार्थियों ने आगे-आगे बढ़ना है तो हिम्मत हारे मत बैठो प्रेरणा गीत सुनाया। कक्षा – 2 के छात्र दिव्यांशु ने शिव तांडव स्तोत्र का सस्वर पाठ कर सबकी भरपूर सराहना बटोरी। तत्पश्चात कक्षा- 4 के विद्यार्थियों ने बादल कविता का पाठ किया। इस दौरान शत-प्रतिशत उपस्थिति के लिए कई विद्यार्थियों को प्रमाण-पत्र व मेडल देकर प्राचार्य ने पुरस्कृत किया। एसेंबली का संचालन ओम कुमार (कक्षा 7) एवं आकृति (कक्षा 6) ने किया। समापन राष्ट्रगान से हुआ।

‘दीपांश’ की प्रभारी डॉ. सरिता गंगवार ने कहा कि डीपीएस बोकारो दो दशक से अधिक समय से ‘दीपांश’ के माध्यम से निर्धन बच्चों के बीच शिक्षा का अलख जगाकर उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का सद्प्रयास कर रहा है। कक्षा 1 से 7 तक के सैकड़ों विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा के साथ-साथ खेल, कला-संगीत, नृत्य आदि से जोड़कर उनका सर्वांगीण विकास किया जाता है। शैक्षणिक सुविधाओं से अभिवंचित बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ-साथ उनके सर्वांगीण विकास के उद्देश्य से ही 2 जुलाई, 2001 को दीपांश की स्थापना की गई थी। उस वक्त इसमें मात्र पांच ही बच्चे थे। आज लगभग 350 बच्चे यहां मुफ्त अत्याधुनिक सुविधाओं व संसाधनों के बीच शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। उन्हें पढ़ाने और उनकी देखरेख के लिए यहां विशेष रूप से शिक्षिकाएं रखी गई हैं। डीपीएस बोकारो के समुन्नत संसाधनों का शत-प्रतिशत लाभ इन बच्चों को भी मिलता है।

उन्होंने बताया कि दीपांश के मेधावी बच्चों को डीपीएस बोकारो की नियमित शिक्षा प्रणाली में जोड़कर निःशुल्क आगे की पढ़ाई भी मुहैया कराई जाती रही है। अब तक दर्जनों ऐसे बच्चों का भविष्य संवारा जा चुका है।

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