विकास कच्छप की सफलता की कहानी: एक माँ की मेहनत और सीसीएल की पहल से चमकी कुश्ती में सोने की सफलता

 

“नहीं फूलते कुसुम मात्र राजाओं के उपवन में, अमित बार खिलते वे पुर से दूर कुञ्ज-कानन में।”
— रामधारी सिंह दिनकर

रांची: “जो तूफ़ानों में पलते जा रहे हैं, वही दुनिया बदलते जा रहे हैं।” ये पंक्तियाँ संघर्ष और सफलता की गहराई को दर्शाती हैं, और सुखमनी तिर्की की कहानी इस संदेश को जीवित करती है।

रांची के बेड़ो गांव के करंज टोली की निवासी सुखमनी तिर्की, मोरहाबादी में हॉकी स्टेडियम के स्टैंड की सफाई करती हैं। उनके चेहरे पर थकावट और चिंता की छाप साफ देखी जा सकती है, जो उनके बच्चों के भविष्य की चिंता से उत्पन्न होती है। पति विष्णु कच्छप की असमय मृत्यु के बाद, सुखमनी ने चार बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी अकेले उठाई। दैनिक मजदूरी की मेहनत से घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया था, लेकिन सुखमनी का सपना था कि उसके बच्चे सिर्फ मजदूर नहीं, बल्कि एक दिन बड़े खिलाड़ी बनें।

सुखमनी की इस भावना को संजीवनी मिली जब उनके बड़े बेटे अमन कच्छप को झारखंड स्टेट स्पोर्ट्स प्रमोशन सोसाइटी (JSSPS) से एक सुनहरा अवसर मिला। सीसीएल और झारखंड सरकार की साझेदारी से संचालित यह अकादमी उभरते हुए एथलीटों को निःशुल्क प्रशिक्षण और शिक्षा प्रदान करती है। सुखमनी ने इस अवसर को अपने बच्चों के लिए एक नए जीवन की शुरुआत मानते हुए, विकास और अंकित को ट्रायल के लिए प्रेरित किया।

इन कठिन दिनों के बाद, खुशी का समय आया जब दोनों बेटे जेएसएसपीएस, रांची के लिए चयनित हो गए। अकादमी ने उन्हें गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण, शिक्षा और पौष्टिक आहार प्रदान किया। विकास ने पिता के आशीर्वाद और माँ की मेहनत से प्रेरित होकर, कठोर अभ्यास किया। इस मेहनत का फल मिला जब विकास ने ओम्मान, जॉर्डन में अंडर-17 कुश्ती, 48 किलोग्राम भार वर्ग में कांस्य पदक जीता।

इस सफलता ने सुखमनी की आँखों में गर्व और खुशी के आँसू ला दिए। विकास की इस जीत ने न केवल परिवार को गर्वित किया बल्कि भारत का नाम भी रोशन किया।

सुखमनी ने अपने बेटे की सफलता का श्रेय सीसीएल और जेएसएसपीएस के प्रशिक्षकों को दिया। उन्होंने विशेष रूप से कोच बबलू कुमार, मधु तिर्की और राजीव रंजन का धन्यवाद किया, जिनके कुशल मार्गदर्शन ने विकास को इस ऊँचाई तक पहुंचाया। ये प्रशिक्षक भारतीय कुश्ती के क्षेत्र में अपने अनुभव और उत्कृष्टता के लिए जाने जाते हैं।

सीसीएल की पहल के तहत जेएसएसपीएस अकादमी ने न केवल विकास को कुश्ती के क्षेत्र में प्रशिक्षित किया, बल्कि उसकी पढ़ाई और पोषण का भी पूरा ध्यान रखा।

सुखमनी तिर्की की कहानी यह दिखाती है कि कैसे एक माँ की अटूट मेहनत और एक सही पहल से सपने हकीकत में बदल सकते हैं। सीसीएल के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक श्री निलेंदु कुमार सिंह के नेतृत्व में, जेएसएसपीएस बच्चों को नए अवसर प्रदान करने में संलग्न है, और लगातार राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय पदक जीतकर देश का नाम ऊँचा कर रहा है।

सीसीएल परिवार की ओर से विकास कच्छप और उनके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएँ, और आशा है कि वे भविष्य में और भी सफलता प्राप्त करेंगे।

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