डीपीएस बोकारो के विद्यार्थियों ने फिर लहराया कामयाबी का परचम

* इंडियन ओलंपियाड क्वालीफायर इन मैथेमेटिक्स में 59 अंकों के साथ श्लोक बना स्टेट टॉपर, 12वीं में आरुष को राज्य में दूसरा स्थान*

बोकारो। अपनी शैक्षणिक उत्कृष्टता की कड़ी में डीपीएस (दिल्ली पब्लिक स्कूल) बोकारो के विद्यार्थियों ने एक बार फिर कामयाबी का परचम लहराया है। राष्ट्रीय स्तर की लब्ध-प्रतिष्ठित गणितीय परीक्षा इंडियन ओलंपियाड क्वालीफायर इन मैथेमेटिक्स (आईओक्यूएम) में लगातार दूसरे वर्ष विद्यालय का पूरे राज्य में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा। परीक्षा की कैटेगरी ए (कक्षा 8-11) में नौवीं कक्षा के विद्यार्थी श्लोक आनंद ने झारखंड में सर्वाधिक 59 अंक हासिल कर स्टेट टॉपर होने का गौरव पाया है। वहीं, कैटेगरी बी (कक्षा- 12) में आरुष बनर्जी ने 54 अंक प्राप्त कर सूबे में दूसरा स्थान प्राप्त किया और जिले में अव्वल रहा। विद्यालय के कुल 15 छात्र-छात्राओं ने इस परीक्षा में शानदार सफलता पाई है।

विद्यालय में कैटेगरी ए में कक्षा 9 के छात्र श्लोक आनंद 59, शिवम ओझा 51 और कक्षा 11 के अनुज 44 अंक लाकर क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर रहे। इसके बाद क्रमशः कक्षा 11 के आयुष राज (42), कुमार अनमोल (41), कक्षा 10 के आरुष रंजन (41), आयुष लच्छीरामका (40), शीर्ष क्रेजिया (33), कक्षा 9 के सुधांशु कुमार (32), 11वीं कक्षा से मालविन परीरा (29) तथा 10वीं के जय सात्विक मेदिरेड्डी (27) ने सफलता प्राप्त की। इसी प्रकार, कैटेगरी बी में 12वीं कक्षा के छात्र आरुष बनर्जी 54 अंक लाकर पहले, नितिन कुमार सिंह 41 अंक के साथ दूसरे तथा आदित्य राज चौहान 35 अंक लाकर तीसरे स्थान पर रहे। जबकि, बालिकाओं की कैटेगरी में कक्षा 10 की छात्रा आयुषी सिंह ने 26 अंक के साथ सफलता पाई।

गौरतलब है कि विगत वर्ष भी डीपीएस बोकारो के आरुष बनर्जी ने झारखंड में स्टेट टॉपर होने का गौरव पाया था। लगातार दूसरे वर्ष अपने विद्यालय के छात्र-छात्राओं के इस बेहतरीन प्रदर्शन पर प्राचार्य डॉ. ए एस गंगवार ने प्रसन्नता व्यक्त की है। उन्होंने इस उपलब्धि को पूरे राज्य के लिए गर्व का विषय बताया। उन्होंने कहा कि यह डीपीएस बोकारो के विद्यार्थियों की शैक्षणिक कुशलता, उनकी कड़ी मेहनत, गणित के प्रति उनके जुनून और हमारे शिक्षकों के समर्पण का प्रत्यक्ष प्रमाण है। उन्होंने सफल विद्यार्थियों को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

उल्लेखनीय है कि आईओक्यूएम भारत में गणितीय ओलंपियाड कार्यक्रम का पहला चरण है, जिसे गणितीय योग्यता और समस्या-समाधान कौशल के कठोर परीक्षण के लिए जाना जाता है। यह भारतीय राष्ट्रीय गणितीय ओलंपियाड (आईएनएमओ) में प्रतिनिधित्व करने के जिज्ञासु विद्यार्थियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

सोशल मीडिया से दूर है स्टेट टॉपर श्लोक, इंजीनियर बनने की ख्वाहिश
आईओक्यूएम (गणित में भारतीय ओलंपियाड क्वालीफायर) की कैटेगरी ए में 59 अंकों के साथ झारखंड में अव्वल रहे डीपीएस बोकारो के मेधावी विद्यार्थी श्लोक आनंद को सोशल मीडिया से परहेज है। एक खास बातचीत में उसने कहा कि पढ़ाई पर फोकस करने के लिए उसने यह दूरी बनाई है। उसका न तो कोई फेसबुक और न ही इंस्टाग्राम अकाउंट है। नौवीं कक्षा के छात्र श्लोक की दिली ख्वाहिश आगे चलकर एक कंप्यूटर इंजीनियर बनने की है। पटना में सिविल इंजीनियर किशोर कुमार एवं गृहिणी रुनम कुमारी के होनहार पुत्र श्लोक ने स्कूल के अलावा रोजाना लगभग चार घंटे अलग से पढ़ाई कर यह सफलता पाई है। कक्षा 3 से वह लगातार डीपीएस बोकारो में अध्ययनरत है और अपनी कामयाबी का श्रेय प्राचार्य डॉ. एएस गंगवार के निर्देशन में यहां के शिक्षकों के कुशल मार्गदर्शन को दिया है। उसे पढ़ाई के अलावा शतरंज खेलने का काफी शौक है। उसने आईओक्यूएम जैसी परीक्षाओं में सफलता के लिए बेसिक और निर्धारित टॉपिक पर फोकस करने का संदेश अपने सहपाठियों को दिया है।

रोजाना 10 घंटे पढ़ाई करता है सेकेंड स्टेट टॉपर आरुष
आईओक्यूएम की कैटेगरी बी में 54 अंक लाकर राज्य में दूसरा तथा जिले में पहला स्थान प्राप्त करने वाला डीपीएस बोकारो में 12वीं कक्षा का मेधावी विद्यार्थी आरुष बनर्जी पढ़ाई के प्रति काफी गंभीर रहा है। विद्यालय-अवधि को मिलाकर वह रोजाना लगभग 10 घंटे पूरे मनोयोग से पढ़ाई करता है। इसी का नतीजा है कि इस बार भी राज्य स्तर पर उसने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। वह इसी परीक्षा में पिछले साल स्टेट टॉपर आया था। पुणे में बतौर चिकित्सक पदस्थापित डॉ. देवाशीष बनर्जी एवं बोकारो में शिक्षिका के रूप में कार्यरत बबीता बनर्जी का पुत्र आरुष कक्षा नर्सरी से ही डीपीएस बोकारो का होनहार छात्र रहा है। शुरू से ही वह ओलंपियाड आदि में सक्रियता के साथ भाग लेता रहा है। उसने अपनी सफलता का श्रेय विद्यालय में स्वस्थ प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण, प्राचार्य डॉ. एएस गंगवार के मार्गदर्शन एवं शिक्षकों के सहयोग को दिया है। उसे कंप्यूटर साइंस में रुचि है और आगे चलकर वह एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना चाहता है। आरुष अपनी मां को ही अपना आदर्श मानता है और पढ़ाई के अलावा वॉलीबॉल खेलने का उसे काफी शौक है। अपने सहपाठियों को उसने पूरे मन से और रुचि के साथ परीक्षाओं की तैयारी करने का संदेश दिया है।

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