पर्यावरण अनुकूल दीपोत्सव मनाने पर विचार हो

पर्यावरण-अनुकूल दीपोत्सव मतलब प्रदूषण मुक्त दीपावली का त्यौहार। यह एक ऐसी पहल हो सकती है जिसमें भारतीयों को न तो पटाखे चलाने से रोका जाएगा,न रोशनी करने से मना किया जाएगा ,न ही इस उत्सव को धूमधाम , हर्ष उल्लास से मनाने से मना किया जाएगा,न ही पर्यावरण प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा, और न ही संसाधनों की बर्बादी के लिए उत्तरदाई माना जाएगा।

हरित दीपोत्सव एक ऐसा कांसेप्ट है जिसमें हर व्यक्ति को ध्यान रखना है कि उसके द्वारा दीपोत्सव के दौरान वायु, ध्वनि और लैंड प्रदूषण की बढ़ोतरी में कम से कम या न के बराबर योगदान हो।

पर्यावरण अनुकूल दीपोत्सव के लिए करना क्या है?:इसके लिए समाज,परिवार और व्यक्तिगत स्तर पर ‌
(1)  परंपरागत पटाखों के स्थान ग्रीन पटाखों का उपयोग करना है। ज्ञात हो कि ग्रीन पटाखों से प्रदूषण(वायु और ध्वनि) बहुत कम होता है क्योंकि इसमें एल्यूमीनियम, पोटेशियम नाइट्रेट और कार्बन जैसे हानिकारक रसायनों का उपयोग बहुत कम या नहीं के बराबर होता है।

(2) रोशनी के लिए ज्यादा बिजली की खपत करने वाली इलेक्ट्रिक लाइट्स की जगह मोमबत्ती,पारंपरिक मिट्टी के दीयों या सोलर लाइट का उपयोग कर ऊर्जा की बचत करना है, साथ ही रात्रि 12 बजे के बाद यदि घर, प्रतिष्ठानों तथा कार्यालयों (शासकीय/प्रायवेट)की लाइट बंद की जा सके तो बहुत अच्छा है।(3)प्लास्टिक और अन्य गैर-बायोडिग्रेडेबल गिफ्ट आइटम्स तथा सामग्री के पैकिंग आदि में हमें बायोडिग्रेडेबल अथार्त रीसाइक्लिंग मटेरियल का उपयोग करना चाहिए।

(4) कचरा प्रबंधन पर नगरी निकायों, पंचायतों तथा व्यक्तिगत स्तर पर इन अवसरों पर विशेष सहयोग और जिम्मेदार व्यवहार आवश्यक है अथार्त कचरा ऐसे स्थान पर नहीं फेंकना है जहां से एकत्रित नहीं किया जा सके।

(5) प्राकृतिक संसाधनों का सम्मान करना है, विशेष रूप से जल, और मिट्टी के संरक्षण पर।

(6) रासायनिक रंगों के स्थान पर प्राकृतिक चीजों से बनी रंगोली (फूल आदि) का उपयोग करना है।

पर्यावरण हितैषी दीपोत्सव की आवश्यकता क्यों? भारत की जनसंख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है और प्राकृतिक संसाधन निरंतर कम होते जा रहे हैं , जबकि प्रदूषण की समस्या बढ़ती ही जा रही है, देश की राजधानी दिल्ली सहित कई बड़े शहरों में तो इस समस्या ने अपना विकराल रूप भी दिखाना शुरू कर दिया है, न्यायालय को संज्ञान लेना पड़ रहा है, परंपरागत आतिशबाजी पर प्रतिबंध पर विचार करना पड़ रहा है। ये तीनों समस्याएं सचेत कर रही है कि भारतीयों को दीपावली जैसे त्यौहारों को मनाने के तौर-तरीकों में समय की मांग के अनुसार बदलाव करना चाहिए।इस प्रकार हम पर्यावरण के स्वास्थ्य के साथ अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रख सकेंगे।

हमें इसके प्रचार-प्रसार के लिए क्या करना होगा? हरित या पर्यावरण हितैषी दीपोत्सव को भारत में साकार करने के लिए (1)सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा स्कूलों, कॉलेजों, और सोशल मीडिया पर हरित दीपोत्सव के लिए जागरूकता अभियान चलाना चाहिए।(2) हरित पटाखों को छोड़ कर अन्य तरह के पटाखों के निर्माण एवं उपयोग पर प्रतिबंध लगना चाहिए।(3) सरकार और स्थानीय संगठनों को मिट्टी के दीयों , स्थानीय कलाकारों द्वारा हस्तनिर्मित सजावटी सामान, और अन्य पर्यावरण अनुकूल उत्पादों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इको-फ्रेंडली उत्पादों की ब्रांडिंग की जाना चाहिए तथा प्रदूषण फैलाने वाले उत्पादों की बिक्री के प्रतिबंध पर विचार होना चाहिए।(4)
सामाजिक नेतृत्व जैसे फिल्मी सितारे, राज नेता, समाज सेवी, उद्योगपति, धर्मगुरु और अन्य प्रभावशाली लोग द्वारा पर्यावरण हितैषी दीपोत्सव मनाने के लिए प्रचार प्रसार और जनता से अनुरोध करना चाहिए।

(लेखक:डा मनमोहन प्रकाश, अध्यक्ष शासी निकाय, शासकीय होलकर विज्ञान महाविद्यालय, इंदौर)

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