अरुण पाठक
बोकारो : जनवादी लेखक संघ, बोकारो के संरक्षक, झारखंड राज्य परिषद के सदस्य एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. नर नारायण तिवारी का आकस्मिक निधन 10 अक्टूबर, 24 को तब हुआ जब वे अपने परिवार के साथ मथुरा – वृंदावन की यात्रा पर थे। उनकी अंत्येष्टि क्रिया बलिया (उप्र) स्थित उनके पैतृक गाँव में किया जा रहा है।
बीती शाम को जनवादी लेखक संघ, बोकारो के तत्वावधान में सेक्टर 4 डी में एक स्मृति सभा का आयोजन वरिष्ठ कवि और जलेस के राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य गोपाल प्रसाद की अध्यक्षता में किया गया, जिसमें नगर के कई प्रतिष्ठित साहित्यकारों ने शिरकत की। वरिष्ठ कथाकार प्रह्लाद चंद्र दास, ललन तिवारी, डा परमेश्वर भारती, चांद मुंगेरी, अरुण पाठक, कुमार सत्येन्द्र, संगीता कुमारी, मीरा योगी, शांति भारत, आकाश खूंटी तथा प्रदीप कुमार दीपक आदि ने अपने प्रिय साथी के साथ बिताए क्षणों को तो साझा किया ही उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर भी प्रकाश डाला। साहित्यकार विनोद कुमार दूबे ने ऑनलाइन अपनी शोक संवेदना व्यक्त की।
लगभग 45 वर्षों तक साथ – साथ रचनाधर्मिता निभाने वाले वरिष्ठ कवि – कथाकार ललन तिवारी ने कई मार्मिक प्रसंगों की तथा उनकी प्रथम पुस्तक “क्रांति रथ” की चर्चा की। प्रह्लाद चंद्र दास ने कहा कि उनके निधन से जलेस, बोकारो ने एक ओजस्वी और प्रखर वक्ता खो दिया। गजलकार चांद मुंगेरी ने कहा कि बोकारो साहित्य जगत को अपूरणीय क्षति हुई है। अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए कवि गोपाल प्रसाद बहुत ही भावुक हो गए। जनवादी लेखक संघ में आने के पूर्व वे किस तरह जनवादी शब्द से चिढ़ते थे और उसके सदस्यों विशेष रूप से गोपाल प्रसाद की आलोचना करते थे, वह वाकया उन्होंने सुनाया और कहा कि इसके बाद वे धीरे धीरे जलेस से जुड़ते गए और उसका सदस्य बने। फिर तो जनवाद ने उन्हें ऐसा जकड़ा कि अंत तक न उसके सदस्य और पदाधिकारी बने रहे। क्रांति रथ और मनीषा मंजरी उनके दो काव्य संग्रह हैं और एक पुस्तक ” मानवीय चिंतन” लेखों का संग्रह है।
उपस्थित सभी साथियों ने उन्हें याद किया और अंत में दो मिनट मौन रहकर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। जलेस, बोकारो के जिला सचिव अजय यतीश ने धन्यवाद ज्ञापित किया।