अरुण पाठक
बोकारो : सावन के महीने में पर्व-त्योहारों की धूम होती है। मिथिलांचल में नव विवाहित जोड़ियों के लिए इस महीने का विशेष महत्व है। मिथिला क्षेत्र में इस महीने नव विवाहित महिलाएं मधुश्रावणी पर्व मनाती हैं। मिथिला में नव विवाहितों के लिए वर्ष भर कई पर्व-त्योहार का विधान है, उनमें मधुश्रावणी महत्वपूर्ण पर्वों में शुमार है। इस वर्ष गुरुवार, 25 जुलाई को मौनापंचमी पर पूजन कार्यक्रम से शुरु हुई मधुश्रावणी पूजन का समापन बुधवार (7 अगस्त) को होगा। सावन कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि से मधुश्रावणी पर्व की शुरुआत होती है। इस पर्व का प्रारंभ पंचमी दिन विधि पूर्वक शिव-पार्वती व नाग देवता की पूजा से होती है। नव विवाहिता मैथिल ललना अपने सुहाग की रक्षा के लिए यह पूजा करती हैं।
इस पर्व के लिए नवविवाहिता के ससुराल से पूजन सामग्री आती है। इस दौरान नवविवाहिता अपने ससुराल से आए अन्न, मिष्टान्न आदि भोजन के रुप में ग्रहण करती हैं। मधुश्रावणी पूजन पर मैथिलानियों द्वारा भक्तिगीतों के गायन से पूरा वातावरण गुंजायमान रहता है। समापन के दिन नव-विवाहिताएं ससुराल से आयी नयी साड़ी, गहने, श्रृंगार आदि के सामान से सुसज्जित होकर पूजा पर बैठती हैं। उनके साथ उनका दूल्हा भी पूजा पर बैठते हैं। टेमी दागने का विधान भी होता है। पूजन कार्यक्रम महिला पंडित द्वारा संपादित कराया जाता है। समापन के अवसर पर सगे-संबंधियों, मित्रों को विशेष पकवान खिलाए जाते हैं।