साहित्यलोक की मासिक रचनागोष्ठी में साहित्यकारो ने दिखाई अपनी रचनात्मक प्रतिभा

– बुद्धिनाथ झा ने मैथिली महाकाव्य ‘ऊं महाभारत’ से ‘कर्ण पर्व’ सुनाकर सबकी प्रशंसा पायी

अरुण पाठक

बोकारो: मैथिली रचनाकारों की चर्चित साहित्यिक संस्था साहित्यलोक की मासिक रचनागोष्ठी रविवार की शाम वरिष्ठ साहित्यकार विजय शंकर मल्लिक के सेक्टर 8 स्थित आवास पर आयोजित हुई। कवयित्री शैलजा झा की अध्यक्षता व साहित्यलोक के संयोजक अमन कुमार झा के संचालन में आयोजित इस रचनगोष्ठी में साहित्यकारों ने मानवीय संवेदना, संस्कृति व परंपरा, सिनेमा आदि से संबंधित रचनाएं सुनाकर अपनी रचनाधर्मिता को प्रकट किया। गोष्ठी की शुरुआत शैलजा झा द्वारा प्रस्तुत गणेश वंदना से हुई।

तत्पश्चात् राजेन्द्र कुमार ने ‘उद्गार’, अमन कुमार झा ने ‘निष्ठा’ कहानी, नीलम झा ने ‘पिताक नाम चिट्ठी’ व ‘भगवती वंदना’, अरुण पाठक ने महान फिल्मकार राज कपूर की 100वीं जयंती के उपलक्ष्य में भारतीय फिल्म जगत में उनके योगदान को रेखांकित किया और उनपर फिल्माये गये एक गीत ‘मेरा नाम राजू घराना अनाम, बहती है गंगा जहां मेरा धाम…’ की सुमधुर प्रस्तुति से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। विजय शंकर मल्लिक ने ‘सांसारिक बात’ व बिहार में चल रहे जमीन सर्वेक्षण में आमलोगों की परेशानियों पर केंद्रित कविता ‘रचना रचब थिक काज हमर नहि’, डॉ राम नारायण सिंह ने भोजपुरी कविता ‘न जाने कहिया ले’ व हिन्दी कविता ‘मैं रहूंगा गांव में’, बुद्धिनाथ झा ने अपनी रचना मैथिली महाकाव्य ‘ऊं महाभारत’ से ‘कर्ण पर्व’ सुनाकर सबकी प्रशंसा पायी।

अध्यक्षीय काव्य पाठ में शैलजा झा ने ‘पाग’ शीर्षक कविता में मिथिला की संस्कृति में पाग की महत्ता व वर्तमान स्थिति को बहुत ही सटीक ढंग से उजागर किया। उनकी दूसरी रचना ‘दुर्दान्त अपराधी’ भी प्रशंसनीय रही। पठित रचनाओं पर समीक्षा टिप्पणी बुद्धिनाथ झा, विजय शंकर मल्लिक, राजेन्द्र कुमार, शैलजा झा व शंभु झा ने दी।

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