संयुक्त शिक्षक मोर्चा ने अपनी लंबित मांग पूरी करने के लिए सरकार से लगाई गुहार

राँची : झारखंड प्रदेश संयुक्त शिक्षक मोर्चा में शामिल सभी घटक संगठनों, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, झारखंड राज्य उर्दू शिक्षक संघ, झारखंड प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ, झारखंड स्टेट प्राईमरी टीचर्स एसोशिएशन, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (+ 2 संवर्ग) की एक आपात बैठक प्रदेश संयोजक अमीन अहमद एवं आशुतोष कुमार के संयुक्त अध्यक्षता में अरगोड़ा चौक स्थित शांति भवन में संपन्न हुई। बैठक में लिये गये निर्णय के पश्चात माननीय मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन के नाम मोर्चा द्वारा पांच सूत्री मांगपत्र सौंपा गया।

मोर्चा के प्रदेश संयोजक अमीन अहमद एवं प्रदेश प्रवक्ता अरुण कुमार दास ने जानकारी देते हुए बताया कि मोर्चा के सदस्य पिछले दिनों राज्य के मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन से उनके आवासीय कार्यालय में मिलकर राज्य के शिक्षको के लंबित एवं जायज मांगों को उनके समक्ष विस्तार से रखा गया था। उक्त वार्ता के क्रम में मुख्यमंत्री महोदय ने शिक्षकों के लंबित समस्यायों के समाधान के लिए आश्वस्त भी किये थे।
विगत वर्षों मोर्चा सहित अन्य शिक्षक संघों द्वारा धरना प्रदर्शन, आमरण अनशन के माध्यम से भी लंबित मांगो को पूर्ण करने के लिए आवाज उठाई गई थी, जिसमें राज्य के कई माननीय विधायक महोदय सभास्थल आकर मांगो को जायज बताते हुए अपनी सहमति दी थी।

विगत माह मोर्चा द्वारा लगातार माननीय मंत्री गणों से भी मिलकर लंबित मांगो को पुरा कराने हेतु आग्रह किया गया था, जिसमें मुख्यरूप से माननीय मंत्री वैद्यनाथ राम, दीपक बिरुआ, डॉ० रामेश्वर उरावं, श्रीमती दीपिका पांडेय, मिथिलेश ठाकुर, बन्ना गुप्ता, सांसद जोबा माझी, राज्यसभा सांसद डॉ० महुआ माजी के समक्ष मांगो को रखा गया था।
आज के बैठक में मुख्यरूप निम्न लंबित मांगो को राज्य सरकार से चुनाव आचार संहिता के पूर्व पूर्ण करने की मांग करती है ताकि राज्य सरकार के प्रति शिक्षकों एवं राज्यकर्मियों की आस्था बनी रहे।

1. झारखंड राज्य के शिक्षकों सहित सभी राज्यकर्मियों के सेवानिवृति उम्र 60 वर्ष से बढ़ाकर 62 वर्ष करने की मांग माननीय मुख्यमंत्री के समक्ष करते हुए बताया गया कि झारखंड के साथ एक ही समय बने दो अन्य राज्यों छत्तीसगढ़ एवं उत्तराखंड सहित आंध्रप्रदेश का उदाहरण देते हुए मोर्चा के सदस्यों ने कहा कि उक्त राज्यों में राज्यकर्मियों की सेवानिवृति उम्र बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी गई है और अभी पिछले दिनों मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री महोदय ने अपने राज्य में शिक्षकों की सेवानिवृति उम्र 62 वर्ष से बढ़ाकर विश्वविद्यालय के शिक्षकों के तर्ज़ पर 65 वर्ष किये जाने की घोषणा की गई है। अत: शिक्षा एवं राज्य हित में अपने भी राज्य में शिक्षकों सहित राज्यकर्मियों की सेवानिवृति उम्र बढ़ाकर कम से कम 62 वर्ष की जानी चाहिए।

2. राज्य के प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों के साथ हो रहे आर्थिक अत्याचार को एम ए सी पी का लाभ देकर राज्य सरकार इसे दूर कर सकती है। विडंबना है कि शिक्षकों को छोड़कर राज्य के सभी कर्मचारियों को नियमित रुप से पद प्रोन्नति एवं एम ए सी पी का लाभ नियमानुकूल दिया जाता है, परन्तु शिक्षकों को न तो प्रोन्नति ही मिलता है और ना ही एम ए सी पी का लाभ।
झारखंड प्रदेश संयुक्त शिक्षक मोर्चा ने राज्य के मुख्यमंत्री से चुनाव आचार संहिता के पूर्व यथाशीघ्र शिक्षकों को एम ए सी पी का लाभ देकर शिक्षकों के साथ आर्थिक न्याय करने की मांग की है। ज्ञातव्य हो कि बिहार सरकार ने शिक्षकों के साथ न्याय करते हुए 2021 में ही अपने शिक्षकों को एम ए सी पी का लाभ दे चुकी है।

3. वर्ष 2006 से पूर्व के नियुक्त शिक्षकों को छठे वेतन आयोग की अनुशंसा के बावजूद उत्क्रमित वेतनमान से अभी तक वंचित रखा है जबकि राज्य के सचिवालय कर्मियों को 2019 में ही इसका लाभ दे दिया गया है। जिससे राज्य के शिक्षक अपने ही राज्य में ठगे से महसूस कर रहे हैं। ऐसे में राज्य में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा की कल्पना कैसे कर सकते हैं जब शिक्षकों को ही न्याय नहीं मिले।

4. गृह जिला स्थानांतरण के मामले में पूर्व के बने सभी जटिल नियमों को शिथिल करते हुए सामूहिक गृह जिला स्थानांतरण किये जाने की मांग की है, ताकि शिक्षकों का अपने अपने गृह जिला में वापसी हो सके जिससे राज्य के प्राथमिक विद्यालयों में आर टी ई के तहत अपने मातृभाषा में पठन – पाठन सुनिश्चित हो सके।

5. शिक्षा विभाग में व्याप्त एन जी ओ के दखल से मुक्त करने की भी अपील की गई है ताकि राज्य में बेहतर शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने में शिक्षकों के योगदान की अहमियत बना रह सके।

आज के आपात बैठक में मोर्चा के प्रदेश संयोजक अमीन अहमद, विजय बहादुर सिंह, प्रवक्ता अरुण कुमार दास, आशुतोष कुमार, शैलेंद्र कुमार सुमन, मंगलेश्वर उरावं, डॉ० सुधांशु कुमार, मो० फखरुद्दीन, मक़सूद जफर हादी मुख्यरूप से मौजूद थे।

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